Operation Spider फोकस पॉइंट: रूसी वायु शक्ति की “रीढ़” का 34% ध्वंस ऐतिहासिक हमले का सार
2 जून, 2025 को यूक्रेन ने Operation Spider Web के तहत रूस के पाँच हवाई अड्डों पर एक साथ हमला कर ४१ रणनीतिक बमवर्षक विमानों को नष्ट कर दिया। यह हमला १८ महीने की योजना का नतीजा था, जिसमें साइबेरिया जैसे 4,300 किमी दूर इलाकों को निशाना बनाया गया। रूसी मीडिया ने इसे अपना’ Pearl Harbor’ क्षण बताया, जबकि यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इसे “इतिहास में दर्ज होने वाला अद्भुत परिणाम” कहा

🎯 कैसे हुआ ये असंभव हमला? रणनीति की बारीकियाँ ट्रोजन हॉर्स टैक्टिक: ड्रोनों को लकड़ी के शेड्स में छिपाकर ट्रकों पर लादा गया और रूसी एयरबेसों के पास पहुँचाया गया। हमले के वक्त शेड की छतें स्वचालित रूप से खुलीं और 117 ड्रोनों ने विमानों के ईंधन टैंकों पर निशाना साधा। इन्हें यूक्रेन से रूसी मोबाइल नेटवर्क के जरिए नियंत्रित किया गया 18। सटीक टार्गेटिंग: ड्रोनों ने विशेष रूप से विमानों के ईंधन टैंकों और इंजन क्षेत्र को निशाना बनाया, जिससे विस्फोटक आग लगी। A-50 AWACS (₹3,000 करोड़ प्रति विमान) जैसे दुर्लभ जासूसी विमान भी नष्ट हुए 811। 18 महीने की गोपनीय तैयारी: SBU ने इस मिशन को “ऑपरेशन स्पाइडर वेब” का नाम दिया था। ट्रक चालकों तक को नहीं पता था कि वे क्या ढो रहे हैं। हमले के बाद सभी एजेंट्स सुरक्षित निकाले गए 85।
युद्धकला में क्रांति क्यों? सस्ते हथियार, भारी नुकसान: हर ड्रोन की कीमत ~$४,००० थी, जबकि नष्ट हुए विमानों का मूल्य $७ अरब आँका गया। यह लागत-प्रभावशीलता का अद्वितीय उदाहरण है 23। दूरी का अंत: पारंपरिक ड्रोनों की मारक क्षमता सीमित होती है, लेकिन इस ऑपरेशन ने दिखाया कि दुश्मन क्षेत्र में घुसकर हजारों किमी दूर तक प्रहार संभव है। असिमेट्रिक युद्ध का नया मॉडल: कमजोर सेनाएँ अब महाशक्तियों को चुनौती दे सकती हैं। जैसा कि एक विश्लेषक ने कहा:

🌍 भारत के लिए सबक: “ऑपरेशन सिंदूर” से आगे
एयरबेस सुरक्षा: 2021 में जम्मू एयरबेस पर पाकिस्तानी ड्रोन हमले ने चेतावनी दी थी। विमानों को ब्लास्ट-प्रूफ हैंगर में रखना और काउंटर-स्वार्म तकनीक विकसित करना अब जरूरी है 512।
FPV ड्रोन तैनाती: भारतीय सेना ने मार्च 2024 में 5 FPV ड्रोन शामिल किए, जिनकी संख्या अगले वर्षों में 100 तक पहुँचेगी। ये ड्रोन एंटी-टैंक पेलोड से लैस हैं और चंडीगढ़ स्थित TBRL द्वारा विकसित किए गए हैं 5।
साइबर-फिजिकल फ्यूजन: यूक्रेन ने मोबाइल नेटवर्क और कमर्शियल सैटेलाइट इमेजरी को हथियारों के साथ जोड़ा। भारत को AI-आधारित टार्गेटिंग सिस्टम पर ध्यान देना चाहिए 5।
⚡ भविष्य का संकेत: “ड्रोन स्वार्म” युग की शुरुआत
“पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता अब युद्ध का निर्णायक कारक नहीं है।”
असिमेट्रिक वॉरफेयर: छोटे देश अब सस्ते ड्रोन झुंडों से महाशक्तियों को चुनौती दे सकते हैं। जैसा कि एक विश्लेषक ने चेतावनी दी: “कल्पना कीजिए कि अमेरिकी बंदरगाहों पर खड़े कंटेनरों से हजारों ड्रोन निकलें!” 5।
परमाणु प्रतिरोधकता का क्षरण: रूस के परमाणु त्रय (Nuclear Triad) का एक स्तंभ (वायु शक्ति) कमजोर हुआ है। यह दिखाता है कि कन्वेंशनल हथियार भी स्ट्रैटेजिक डिटरेंस को भेद सकते हैं 11।
भारत की तैयारी: “ऑपरेशन सिंदूर” (पीओके में स्ट्राइक) के बाद भारत ड्रोन वॉरफेयर डॉक्ट्रिन विकसित कर रहा है, जिसमें आत्मघाती ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम शामिल हैं 510।
💎 निष्कर्ष:
यूक्रेन ने साबित किया कि “सस्ती तकनीक + साहसिक रणनीति = महाशक्ति को झुकाना”। यह हमला केवल विमानों को नष्ट करने तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने युद्ध के भविष्य को फिर से परिभाषित कर दिया। जैसे टैंकों ने प्रथम विश्वयुद्ध और परमाणु बमों ने द्वितीय विश्वयुद्ध की रणनीति बदली, वैसे ही “स्वार्म ड्रोन्स” 21वीं सदी के युद्धों के नए आर्किटेक्ट हैं 511।
“अगला विश्व युद्ध ड्रोनों के झुंडों से लड़ा जाएगा, और उसकी पहली लड़ाई यूक्रेन ने जीत ली है।”